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मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया




मिसिर हरिहरपुरी की

                कुण्डलिया


देकर जाता भूल जो, वह दाता-भगवान।

कभी जताता है नहीं,वह अपना अहसान।।

वह अपना अहसान, कभी भी नहिं है कहता।

करता है सत्कर्म, सदा दीपक बन जलता।।

कहें मिसिर कविराय, नीच  कब देता लेकर।

जग में वह धनवान, भूल जाता जो देकर।।




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2 Comments

Sachin dev

31-Dec-2022 06:08 PM

Amazing

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